Wednesday, August 13, 2008

गुरूजी ने कहा

उदय प्रकाश की कहानी मैंगोशेकऐसा माना जाता है कि Çहदी के उत्तर आधुनिक रचनाकार उदय प्रकाश हैंण् उत्तर आधुनिक विचारों के केंद्र में बाजार निहित हैण् उन्होंने एक कहानी लिखी है- मैंगोशेकण् उस कहानी में तमाम उत्तर आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया हैण् उन तकनीकों के इस्तेमाल से यथार्थ के ब्योरे बहुत ही तीखे और सघन रूप में उरे हैंण्ये तकनीकें यथार्थ को जिस गहराई से उारती है, वह उत्तरआधुनिकता की ही देन हैण् उदय प्रकाश जानते हैं कि हम इस बाजार केंिद्रत ज्ञान से क्या ले सकते हैंण् इस कहानी में बाजार केंिद्रत विचार व्यवस्था पर बड़ा कड़ा प्रहार किया गया हैण् यहां मैं उसके अंतिम अंश का उल्लेख कर रहा हूं- लेकिन सबसे अधिक चौंकाने वाला दस्तावेज पेंटागन का हैण् इथोपिया, घाना, ारत, बांगलादेश, इराक, अफगानिस्तान, बोिज्मया, फिलिस्तीन, श्रीलंका, नामीबिया, ब्राजील समेत 67 देशों में ऐसे बच्चे लगातार जन्म ले रहे हैंण् जिनका सिर तेजी से बड़ा हो रहा है और जिनका दिमाग सबकुछ जानता हैण् वे बच्चों की तरह अबोध और मासूम नहÈ हैंण् इन बच्चों के सिर के ीतर स्थित मस्तिष्क की उम्र उनकी स्वााविक उम्र से कई गुणा ज्यादा बड़ी हैण् लेकिन उसके मस्तिष्क में कई शतािब्दयों की जैविक स्मृतियां मौजूद हैंण् उनके डीएनए अजीब तरीके से एक जैसा हैण् पेंटागन के मुताबिक इस समय की सी देशों की सी सरकारों को इन बड़े सिर वाले बच्चों पर निगाह रखनी होगीण् उनकी आइडेंटीटी यह है- वे गरीब घरों में गंदगी और कुपोषण के बीच पैदा हुए हैंण् उनकी आंखें चÈटियों की तरह लाल है और उन्हें नÈद लगग नहÈ आतÈण्हम आज उदारीकरण और ूमंडलीकरण के पक्षधर हैंण् अपनी सरकार और दुनिया के सरकारों को ी देख रहे हैंण् यह कहानी इतिहास के अंत का नहÈ बल्कि इतिहास में आदमी की नयी ूमिका की तलाश है, जो दिल्ली की मलिन बस्ती जहांगीर पुरी में शुरू होती है और पूरे वैिश्वक स्तर पर प्रतिरोध के स्वर में फैल जाती हैण् ऐसी साहिित्यक रचनाओं की उपलब्धि बहुत बड़ी है और वह स्वाधीनता के लिए लड़ाई के एक नये मोर्चे की तलाश है, जो प्रु शक्तियों के विरुद्ध हैण्(जैसा गुरु जी ने मुझसे कहा)