Monday, November 15, 2010

गपशप जिसे कांग्रेस ले उडी


संघ के देशव्यापी कार्यक्रम के तहत राजधानी भोपाल के लीली टॉकिज के सामने दो घंटे का धरना दिया गया। इसमें संघ के सबसे वरिष्ठ कार्यकर्ता के रूप में संघ के पूर्व सरसंघचालक के.एस. सुदर्शन मंच पर मौजूद थे। लेकिन संघ ने अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए मंच से उनका भाषण नहीं करवाया। धरना समाप्त होने के बाद कुछ पत्रकारों ने उनसे अनौपचारिक गपशप की जिसे कांग्रेस ले उड़ीकेंद्र सरकार द्वारा संघ पर भगवा आतंकवाद का आरोप लगाने और बिना सबूत के कुछ बम धमाके में में संघ के लोगों को फंसाने की साजिश के खिलाफ 10 नवंबर को संघ के देशव्यापी कार्यक्रम के तहत राजधानी भोपाल के लीली टॉकिज के सामने दो घंटे का धरना दिया गया। इसमें संघ के सबसे वरिष्ठ कार्यकर्ता के रूप में संघ के पूर्व सरसंघचालक के.एस. सुदर्शन मंच पर मौजूद थे। लेकिन संघ ने अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए मंच से उनका भाषण नहीं करवाया। जबकि धरने में शामिल दो हजार से अधिक लोगों को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सांसद प्रभात झा, पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ बेग, महापौर कृष्णा गौर, प्रांत संघचालक शशिभाई सेठ, संघ के प्रांत कार्यवाह अशोक अग्रवाल, भारतीय किसान संघर्ष के राष्ट्रीय संगठन मंत्री प्रभात केलकर, विश्व हिंदू परिषद के प्रांत संगठन मंत्री रोहित भाई और विद्यार्थी परिषद के विश्वास चौहान ने संबोधित किया।गौरतलब है कि पार्टी गाइड लाइन के अनुसार, इस धरने में सूबे के मुख्यमंत्री और मंत्री उपस्थित नहीं थे। धरने में शामिल होने वालों में संघ के पदाधिकारियों के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा, भाजपा के प्रदेश सह संगठन महामंत्री भगवत शरण माथुर, पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा, भाजपा सांसद अनिल माधव दवे, भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष विधायक नीता पटेरिया व प्रदेश उपाध्यक्ष साधना सिंह, गो संवर्द्धन मंडल के अध्यक्ष मेघराज जैन, गायत्री परिवार के शंकर लाल पाटीदार और वरिष्ठ नेता ओम मेहता प्रमुख थे।धरना में सभी वक्ताओं ने संघ को बदनाम करने और हिंदू विरोधी राजनीति करने के लिए कांग्रेस पार्टी और उनकी सरकार को आड़े हाथों लिया। उन लोगों ने कांग्रेस को मुसलमानों का वोट बैंक प्राप्त करने के लिए ओछी राजनीति न करने की नसीहत दी और कहा कि हिंदुत्व के खिलाफ इस तरह के घटिया सियासी हथकंडे को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इन हथकंडों का न्यायपालिका समेत सभी मंचों से मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।धरना खत्म होने पर जब संघ के सभी प्रमुख नेता जा चुके थे। और धरना स्थल पर बैठने के लिए बिछी दरी समेटी जा रही थी तो छह-सात पत्रकार वहां मौजूद सुदर्शन के पास पहुंच गए और उनसे कुछ बोलने का आग्रह करने लगे। इन पत्रकारों में दो खबरिया चैनल (टाइम टूडे, ईटीवी) और पांच अखबार (दैनिक भाष्कर, पत्रिका, जनसत्ता और दो अन्य) के पत्रकार थे। हालांकि धरने को लेकर चैनल वाले सुदर्शन की बाइट ले चुके थे। लेकिन धरना के बाद सुदर्शन की अनौपचारिक बातचीत ने विवाद का एक नया अध्याय खोल दिया। उन्होंने जो अनौपचारिक बातचीत में बताया वह इस प्रकार है- ‘एक विदेशी महिला आज पूरे देश को निर्देशित कर रही है। उसके पास इटली की नागरिकता है। हमारे प्रधानमंत्री भी उनके आगे हाथ जोड़कर सब गलत काम कर रहे हैं।’पत्रकारों ने पूछा, ‘आपका इशारा सोनिया गांधी की ओर है?’ उनका जबाब ‘हां’ में था।आगे उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी को यह मालूम हो गया था कि उसके घर में सीआईए की एजेंट है। जब पंजाब में आतंकवाद चरम पर था तो इस महिला ने इंदिरा गांधी की हत्या का षडयंत्र रचा। जब इंदिरा की हत्या में शामिल सतवंत सिंह को हटाने की बात हुई तो इसी विदेशी महिला ने यह नहीं होने दिया। इंदिरा गांधी को जब गोली लगी तो उन्हें पास के राममनोहर लोहिया अस्पताल न ले जाकर एम्स ले जाया गया, जो काफी दूर था। डॉक्टरों उनके मरने का कारण ज्यादा खून बह जाना बताया। लेकिन हत्या की घोषणा राजीव गांधी को प्रधानमंत्री की शपथ दिलाने के बाद हुई।पत्रकारों ने फिर पूछा, ‘क्या इसके पीछे सोनिया गांधी थी?’ उनका जबाब था कि उनके अलावा उस समय और कोई नहीं था। इसी तरह राजीव गांधी के श्रीपेरुंबदूर की सभा में जेड प्लस सुरक्षा की मांग की गई थी जो नहीं दी गई। इसके पीछे भी इस महिला का ही हाथ है। क्योंकि राजीव गांधी को भी इस बात की भनक लग गई थी कि यह महिला सीआईए की एजेंट है। इसलिए वे इससे पीछा छुड़ाना चाहते थे। सुदर्शन ने यह सवाल भी उठाया कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी- दोनों का पोस्टमार्टम क्यों नहीं हुआ? साथ ही इस बात की भी जांच नहीं हुई कि राजीव को जेड प्लस सुरक्षा क्यों नहीं दी गई। पत्रकारों ने फिर पूछा, ‘क्या इसमें भी सोनिया का हाथ था?’ उनका जबाब ‘हां’ में था।उन्होंने आगे बताया कि वह अवैध संतान है। उसके जन्म के समय उसका पिता जेल में था। इसे छुपाने के लिए वह अपना जन्मदिन 1944 के बजाय 1946 बताती हैं। इतना ही नहीं उनका नाम असली अनातोनिया है। लूसियाना के एक चर्च में राजीव गांधी ने ईसाई धर्म ग्रहण कर राबर्टो नाम से शादी की। लेकिन बाद में इंदिरा गांधी वैदिक रीति से शादी करवाई।जब पत्रकारों ने उनसे इन बातों का आधार पूछा तो उन्होंने बताया कि मुझे एक कांग्रेसी नेता ने इसकी जानकारी दी है। लेकिन पत्रकारों को उन्होंने कांग्रेसी नेता का नाम नहीं बताया।इस बातचीत को ध्यान से पढ़ें तो सुदर्शन ने कहीं सोनिया का नाम नहीं लिया। लेकिन पत्रकारों ने उनके मुंह से सोनिया का नाम उगलवाया।