Thursday, June 12, 2008

आरुषि

क्या हो गया है मीडिया को । दिल्ली मे रोज दो - चार कत्ल होते हैं , लेकिन उन घटनायों का सिर्फ़ जिक्र कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाता है। लेकिन आरुषि हत्याकांड मे यह कुछ ज्यादा ही रूचि ले रहा है। इसका कारण स्पष्ट है कि उसे इस घटना के रिपोर्टिंग मे कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा है। क्योंकि इसमे उसे अन्य घटना की तुलना मे कुछ ज्यादा मिर्च - मशाला लगाने को मिल रहा है। यह सही है कि टीआरपी की होड़ में शामिल होने के लिए सभी चैनलो के द्वारा कुछ भी किया जा रहा है। लेकिन चैनल इस दौरान समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी भूल रहे हैं। यह मीडिया के लिए उचित नही.

3 comments:

हरिमोहन सिंह said...

बन्‍धुवर टी आर पी की दौड है ये बात तो ठीक है लेकिन आरूषि केस का सच सामने आना ही चाहिये क्‍योकि इससे पता लगेगा कि हमारा आज का समाज कैसा है हम किस तरह से सोच रहे है क्‍योकि एक पिता अपनी इकलौती पुत्री की हत्‍या कर सकता है किन्‍ही भी स्थितियों में , ये बात आसानी से स्‍वीकार नही होती

संजीव कुमार said...

aapka sahi kahna hai ki sach samne aana chahiye. lakin jis tarah media pita-putri ke sambandhon ko uchal rahi vah sahi nahi hai. kanun apna kam thik se karne dena chahiye. kuch dino me sach samne aayega hi. lagta hai aap bandhu paper nahi padhate. kuch gharon me ladkiyan apne pita ke pas jane se dar rahi hai. kya yeh dar media ka paida kiya hua nahi hai.

Amit K Sagar said...

अच्छा लगा आपको पढ़कर, लिखते रहिये. शुक्रिया.
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उल्टा तीर